चल चल ए ज़िन्दगी
संग मेरे चल तू
एक कदम तूमेरी और बढे
एक कदम मैंतेरी तरफ चलू
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
थोड़ा सा हमगम बांटे
थोड़ी खुशियों की हो गुफ्तगू
एक पल तूमुझे संभाले
दुसरे पल मैंतुझे संभालता चलूँ
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
हों यादों केसाये और
आने वाले कलकी उम्मीद
तू कभी आसराबने मेरा
और मैं कभीतेरी तरकीब
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
तू रहना साथ, कहीं आस–पास
जो पा लूँमैं बहुत कुछ
या खो दूँमैं अपना आसमान
‘तू है यानहीं‘, बस तू इतना पूछ
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
हो हकीकत हसीन ज़रूरी नहीं
पर हर दिन मैं एक सपना बुनूं
हो रंगों का खिलवाड़ जिनमें रंग
थोड़े तू भरे और थोड़े रंग मैं भरूं
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
हों सवाल कईंसारे मन में
जिन्हें खोजने काप्रयास मैं करूँ
कभी तेरे लाखसमझाने पर भी न समझूँ
और कभी बिनसमझे ही मैं आगे बढ़ताचलूँ
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
ऐ काश कभीन वोह दिन आए
जब तू मुझसेरूठे या मैं तुझसे रूठताचलूँ
थोड़ा तू मुझेमना लेना, थोड़ामैं तुझे हसाऊँ
फिर हाथ थामेमैं तेरा, बसतेरे संग ही चलूँ
चल चल एज़िन्दगी
संग मेरे चलतू
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2 Comments
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करण बहुत खूबसूरती से अपने यह कविता।।
Thanks Kavya