A few droplets of water
Poetry

Kuch boond zindagi 

कुछ बूँद ज़िन्दगीगवा दी हमनेज़रुरत से ज़्यादाज़रुरत के नाम पेअगर सोचें ज़रा ब्रश करते रहेसाबुन मलते रहेछई छप छईएक बारी में टंकी खाली हो गयी भला धोये हमने भरतनगाड़ियां भी धुलती रहीधुले रोज़ बरामदे पानी की नालियां बनती रहीजो चाहते हम तो खिला सकती थी बगीचा हरा-भरा स्कूलों…

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